मानव जीवन विकास समिति, मध्यप्रदेश के उत्तरी पूर्वी की ओर जबलपुर सम्भाग मे जिला कटनी मे स्थित है जो ना तो बुन्देलखण्ड, ना बघेलखण्ड और ना ही महाकौशल क्षेत्र मे आता है बल्कि इसे अपना अलग स्थानीय क्षेत्र से जाना जाता है। विध्यांचल पर्वत की पहाड़ियों मे जिले के उमरियापान क्षेत्र के करौदी गांव मे स्थित देष का भौगोलिक केन्द्र बिन्दु (स्मारक) स्थित है जो दुनिया मे जाना जाता है। तथा अमरकंटक मे जड़ीबूटियों का उद्धम बहुतायत मे पाया जाता है। कटनी जिला चूना पत्थर के शहर के नाम से लोकप्रिय है। कटनी का स्लिमनाबाद गांव संगमरमर पत्थर के नाम से सुप्रसिद्ध है। वहीं कटनी से लगा हुआ सतना जिला का मैहर धाम शारदा मंदिर धार्मिक पर्यटक के नाम से प्रसिद्ध है। रूहेलखण्ड की परम्परा रही है कि रूहेल राजपुताना होने के कारण यहां पर सामंती व्यवस्था के साथ सामाजिक कुरीतियों मे प्रबल दावेदार के साथ विद्यमान है। इस जिले के प्रमुख भागों मे उमड़ार, सोन एवं महानदी का कगार आता है तथा टमस नदी का उदगम क्षेत्र एवं कैमोर पहाड़ियों से लगा हुआ विध्यांचल क्षेत्र का सिरा माना जाता है। सोन एवं महानदी मे बिल्डिंग (भवन) बनाने वाली रेत का बड़ा व्यापार होता है। जबकि इसी इलाके मे बाणसागर बांध बनाने से यहां की कृषि एवं वन सम्पदा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना साफ दिखाई देता है। यह क्षेत्र कैमोर की पहाड़ियां, बांधवगढ़ का सफेद शेर के नाम से मशहूर जंगल के बीचों बीच का इलाका माना जाता है जो रूहेलखण्ड के नाम से जाना जाता है। यहां पर कोल, गोड़ एवं भुमिया जनजाति बहुतायत मे पाये जाते है। जबकि कोल जनजाति का उद्धम क्षेत्र माना जाता है। सम्पूर्ण क्षेत्र मे लगभग 40 प्रतिषत कोल जनजाति का निवास होना अपने आप मे प्रभावित है। इन जनजातियों के अलावा सामान्य, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग की बसाहट है। आदिवासी मे पठारी क्षेत्र होने के कारण खेती की हालत पुरानी परम्परा से हटकर आज के परिवेष मे रासायनिक खाद, कीटनाषक दवाओं का अत्यधिक रूप से उपयोग हो रहा है। इसी क्षेत्र मे वार्षिक औसत वर्षा 850 से 1200 मि.मी. के बीचों बीच होती है। सामाजिक दृष्टि से देखें तो बच्चों एवं महिलाओं की हालत बहुत दयनीय है आज भी पर्दाप्रथा, दहेजप्रथा, बालविवाह जैसी प्रचलन देखने को मिल ही जाती है, बच्चों मे बाल मजदूरी करना अभी भी रूकने का नाम ही नही लेता ऐसे मे समिति लगातार काम को अंजाम देने प्रयासरत है।